आचार संहिता

उधारकर्ताओं के प्रति दायित्व संबंधी आचार संहिता

ऋणों के लिए आवेदन और उनका निस्तारण

  • बैंक का ऋण आवेदन फार्म व्यावहारिक और व्यापक होगा। यदि किसी विशेष उत्पाद अथवा संव्यवहार के मामले में कोई विशिष्ट सूचना अपेक्षित है तो इसकी अलग से जानकारी मांगी जाएगी।
  • बैंक उधारकर्ता को ऋण आवेदन की पावती देगा जिसमें बैंक में आवेदन की प्राप्ति की तारीख का उल्लेख होगा।
  • प्राप्त ऋण आवेदन की एक तार्किक अवधि में जांच सुनिश्चित की जाएगी तथा ऋण प्रस्ताव के मूल्यांकन के लिए आवश्यक अतिरिक्त सूचना/दस्तावेज के संबंध में उधारकर्ता को तत्काल सूचित किया जाएगा।
  • प्रस्ताव पर विधिवत विचार के बाद यदि उसे प्रारंभिक स्तर पर ही स्वीकारने के योग्य नहीं पाया जाता है तो सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन से आवेदक को समुचित अवधि में अस्वीकृति के कारण देते हुए सूचित किया जाएगा|
  • प्रारंभिक स्तर प्रस्ताव पर विधिवत विचार के बाद यदि उसे गहन जांच (ड्यू डिलीजेंस) के लिए उपयुक्त पाया जाता है तो आवेदक को इसकी शर्ते; प्रोसेसिंग व अन्य प्रभार तथा बाद में प्रस्ताव को उपयुक्त न पाए जाने पर इनकी वापसी, मंजूरी के निरस्तीकरण, पूर्व भुगतान शर्तो आदि के संबंध में स्पष्ट रूप से सूचित किया जाएगा तथा उसकी पुष्टि प्राप्त की जाएगी।

ऋण प्रस्ताव के मूल्यांकन की शर्तें

  • यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ग्राहक की ऋण आवश्यकताओं का उचित मूल्यांकन हो तथापि ऋण राशि का निर्धारण, बैंक के ऋण मानदंडों तथा संबंधित ऋण कार्यक्रमों के पैरामीटरों का ध्यान रखते हुए, ग्राहक के साथ विमर्श कर तय किया जाएगा।
  • मार्जिन तथा प्रतिभूतियों (सिक्यूरिटी) का निर्धारण ग्राहक की साख के आधार पर समुचित जांच के जरिए किया जाएगा।
  • बैंक ग्राहक को ऋण मंजूरी की शर्तों के संबंध में विधिवत सूचित करेगा तथा ग्राहक द्वारा इन शर्तों की स्वीकारोक्ति / पुष्टि संबंधी रिकार्ड अपने पास सुरक्षित रखेगा।
  • बैंक द्वारा मंजूर की गई ऋण सुविधा की शर्तें तथा अन्य नियमों, जिन्हें ग्राहक से चर्चा के बाद निर्धारित किया गया है, को एक ऋण करार/वचन पत्र/ अन्य समरूपी दस्तावेज़ के रूप में तैयार करवाया जाएगा। ऐसे दस्तावेज़ों/करार की एक प्रतिलिपि उधारकर्ता को उसके रिकॉर्ड के लिए उपलब्ध करवाई जाएगी।
  • उधारकर्ता से विचार विमर्श के उपरांत तैयार ऋण करार/वचनपत्र/अन्य समरूपी दस्तावेजों के प्रति बैंक की देयता/वचनबद्धता सीमित होगी जो मंजूर सीमा, व्यवसाय के विकास/विस्तार के लिए बिना किसी संशोधन/समीक्षा के अतिरिक्त वित्त की आवश्यकता और अथवा अतिरिक्त ऋण सीमाओं की मंजूरी तक ही सीमित होगी। खाते के अनर्जक हो जाने अथवा ऋण मंजूरी शर्तों का अनुपालन न करने पर बैंक को सभी सुविधाओं को वापस लेने का अधिकार होगा।
  • सामूहिक वित्तीयन (कंसोर्शियम लेंडिंग) के मामले में बैंक द्वारा ऋण प्रस्ताव का मूल्यांकन यथासंभव समयबद्ध ढंग से किया जाएगा तथा इस पर अपने निर्णय से समुचित समय में उधारकर्ता को सूचित किया जाएगा ।

ऋणों का संवितरण तथा शर्तों में परिवर्तन

  • बैंक मंजूर ऋणों का संवितरण समय पर सुनिश्चित करेगा बशर्ते कि ग्राहक द्वारा संवितरण प्रक्रिया व पहले से ही सूचित की गई शर्तों का अनुपालन किया जाता है।
  • ग्राहक को ब्याज दरों सहित ऋण करार, वचनपत्र, अन्य समरूपी दस्तावेज़ में परिवर्तन की अग्रिम सूचना दी जाएगी| ब्याज दरों सहित अन्य शर्तों में परिवर्तन भविष्यगामी प्रभाव से होंगें जब तक कि इनके लिए ऋण करार, वचनपत्र, अन्य समरूपी दस्तावेज़ में अन्यथा प्रावधान न हो अथवा यह शर्तें विनियामक/सरकारी प्राधिकारियों द्वारा न लगाई गई हों जिन्हें भूतकालिक प्रभाव से लिये जाने का प्रावधान हो।

संवितरण उपरांत निगरानी

  • बैंक द्वारा ऋण के संवितरण के उपरांत इसकी निगरानी की जाएगी ताकि उधारकर्ता को बैंक से संबंधित उचित मामलों का समाधान दिया जा सके तथा उसे कोई परेशानी न हो।
  • बैंक द्वारा ग्राहक को ऋण करार/वचनपत्र अथवा समरूपी अन्य दस्तावेजों में दिए गए अनुसार, इसमें ऐसा उल्लेख न होने पर एक सुनिश्चित अवधि देते हुए ऋण की चुकौती, भुगतान जल्दी करने अथवा ऋण दस्तावेज़ों में दी गई शर्तों का पालन करने या अतिरिक्त प्रतिभूतियॉं देने के संबंध में विधिवत नोटिस दिया जाएगा।
  • उधार्कर्ता द्वारा बैंक को दी गई सभी प्रतिभूतियां (सीक्यूटरीज) ऋण की संतोषजनक व पूरी अदायगी पर निर्मुक्त कर दी जाएंगी बशर्ते कि उधारकर्ता पर किसी अन्य दावे के संबंध में/किसी अन्य समूह/कंपनी में प्रवर्तक के रूप में उसके हितों की दृष्टि से अथवा गारंटर के रूप में बैंक का कोई अन्य दावा न बनता हो जिसके अंतर्गत बैंक को इन प्रतिभूतियों का तब तक अपने पास रखने का अधिकारी हो जब तक इसका निस्तारण न हो जाए।

सामान्य

  • बैंक उधारकर्ता के मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा जब तक कि इसके लिए ऋण दस्तावेजों में अन्यथा कोई प्रावधान न हो या बैंक को कोई ऐसी सूचना प्राप्त हुई हो जिसे पहले प्रकट न किया गया हो।
  • बैंक ऋण देने के मामले में लिंग, जाति अथवा धर्म के आधार पर कोई भेद-भाव नहीं करेगा हालांकि बैंक इस शर्त के रहते हुए भी समाज के कमजोर वर्गों के लिए तैयार की गई ऋण योजनाओं में भाग लेना जारी रखेगा।
  • ऋणों की वूसली के मामले में बैंक उधारकर्ता को ऋण चुकौती के लिए गैर वाजिब समय पर (ऑड ऑवर्स) तंग नहीं करेगा तथा ऋण वसूली के लिए गुंडों का सहारा नहीं लेगा।
  • उधारकर्ता के खाते का किसी अन्य बैंक/वित्तीय संस्था द्वारा टेक ओवर संबंधी अनुरोध ( चाहे वह उधारकर्ता द्वारा किया गया हो या उसके बैंक/वित्तीय संस्था द्वारा) पर बैंक अपना निर्णय अनुरोध प्राप्ति के 21 दिनों के अंदर सूचित कर देगा।

शिकायत निपटान प्रणाली

  • उधारकर्ता अपनी शिकायतों के निपटारे के लिए बैंक के प्राधिकृत वरिष्‍ठ अधिकारी को लिख सकते हैं, जिनका संपर्क विवरण बैंक की वेबसाइट तथा बैंक के अन्य प्रकाशनों में उपलब्ध रहेगा। ग्राहक अपनी शिकायत में शिकायत की प्रकृति स्पष्‍ट रूप में लिखें और उसके साथ ज़रूरी दस्तावेज भी लगाएं, यदि कोई हों। पत्रों / फॉर्मों के जरिए प्राप्त हुई शिकायत की प्राप्ति सूचना उधारकर्ता को दी जाएगी और इसकी एक प्रति भी प्रदान की जाएगी।
  • प्राधिकृत अधिकारी शिकायत के तेजी से निपटान के लिए जरूरी कार्रवाई शुरू करेंगे तथा तेजी से इसका निस्तारण करेंगे, किन्तु किसी भी मामले में निस्तारण लगभग एक महीने के भीतर किया जाएगा।
  • प्राधिकृत अधिकारी के किसी निर्णय से असंतुष्‍ट होने पर उधारकर्ता, अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अभ्यावेदन कर सकते हैं। अपीलीय प्राधिकारी सामान्यतया बैंक के उप प्रबंध निदेशक होंगे/होंगी और उप प्रबंध निदेशक की अनुपस्थिति में प्रबंध निदेशक अपीलीय प्राधिकारी होंगे/होंगी। अपीलीय प्राधिकारी अभ्यावेदन पर विचार करेंगे और उपयुक्त अनुसार इस संबंध में आवश्यक जांच-पड़ताल कर उधारकर्ता को अपने निर्णय से एक माह के अंदर अवगत कराएंगे/कराएंगी।
  • बैंक में यह सुनिश्‍चित करने के लिए व्यवस्था लागू है कि निर्णयों से उठने वाले विवादों पर सुनवाई हो और कम से कम अगले उच्चतर स्तर पर उनका निपटारा किया जाए। इस संबंध में एक रिपोर्ट निदेशक मंडल को वार्षिक आधार पर प्रस्तुत की जाएगी।