हमारी भाषाएं हमें अपनी संस्कृति का दर्शन कराती हैं और हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखती हैं। यही वजह है कि भाषा को संस्कृति की वाहक कहा जाता है।
यह ‘एक्ज़िम स्पर्श’ भी अपनी कार्य संस्कृति से साक्षात्कार कराने और आपसे जुड़ने का एक छोटा-सा प्रयास है। यह प्रयास है, अपनी भाषा को आगे बढ़ाने के तमाम प्रयासों में अपना योगदान देने का। हिन्दी और भारतीय भाषाएं आज इंटरनेट पर तेजी से बढ़ रही हैं। हम उम्मीद करते हैं कि यह ई-पत्रिका अपनी भाषा को बढ़ावा देने के एक वृहत्तर उद्देश्य में भी अपना छोटा-सा योगदान दे पाएगी।
इसे आपकी सुविधा के लिए खास तौर पर इस तरह डिजाइन किया गया है कि मोबाइल पर भी इसे आसानी से पढ़ा जा सके। ‘एक्ज़िम स्पर्श’ आप सभी पाठकों को समर्पित है।
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